नई दिल्ली। इस साल बेहद कम लोगों की सैलरी उनकी उम्मीदों के अनुरूप बढ़ी है। अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ने से इस साल कंपनियों ने सैलरी बढ़ाने के लिए अपना हाथ पूरा नहीं खोला। सीएमआईई के आंकड़ों से इस बात की पुष्टि होती है कि निजी क्षेत्र में इस साल सैलरी वृद्धि 10 सालों के सबसे निचले स्तर पर रही है। ज्यादातर कंपनियां अपना सामान्य काम-काज चला पाने में भारी मुश्किलों का सामना कर रही हैं। क्योंकि मार्केट में माल की डिमांड नहीं है। लोगों की जेब में पैसा नहीं है। अर्थव्यवस्था का पूरा चक्र गड़बड़ा गया है। देशभर में बेरोजगारी की दर फिलहाल 6.1 प्रतिशत है, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर बताया जाता है। हालांकि हकीकत इससे और ज्यादा बदतर है।
सीएमआई प्रॉवेस डेटाबेस के विश्लेषण के मुताबिक, आमदनी में हुई भारी गिरावट के कारण प्राइवेट सेक्टर में सैलरी में बढ़ोतरी बीते 10 सालों (2009-10 के बाद) में सबसे खराब रही है। इसके साथ ही, दूसरे अहम क्षेत्रों के प्रासंगिक डेटा भारतीय अर्थव्यवस्था और कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की स्पष्ट तस्वीर बयां करते हैं।
बेरोजगारी में वृद्धि के साथ ही सैलरी में बेहद कम बढ़ोतरी ने देश के रोजगार के परिदृश्य को दोहरा झटका दिया है। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे 2017-18 में पाया गया है कि देशभर में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत है, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है। अभी पुरुषों में बेरोजगारी 1977-78 के बाद सबसे उच्च स्तर पर और 1983 के बाद महिलाओं में सबसे ऊंचे स्तर पर है।
केयर रेटिंग्स के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देश में भर्तियों की हालत दिन ब दिन बद्तर होती जा रही है और इसपर भी गौर किया जाए तो अर्थव्यवस्था के लिए यह तिहरा झटका हो सकता है।
बैंक, बीमा कंपनियां, ऑटोमोबाइल कंपनियां तथा लॉजिस्टिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने भर्तियों की संख्या घटा दी है। अधिकतर सेक्टर्स में भर्ती गतिविधियों में सुस्ती आने से भारत का रोजगार परिदृश्य बेहद धुंधला दिखाई पड़ रहा है।
पीएलएफएस के मुताबिक, साल 2011-12 में बेरोजागारों की संख्या 1.08 करोड़ थी, जो साल 2017-18 में दोगुनी बढ़कर 2.85 करोड़ पर पहुंच गई। 1999-2000 तथा 2011-12 के बीच बेरोजगारों की संख्या लगभग एक करोड़ रही थी। साल 2011-12 तथा 2017-18 की अवधि के बीच 1.8 करोड़ लोग श्रम बल में शामिल हो गए, जबकि इस दौरान महज पांच लाख रोजगार ही पैदा हुए, जिसे देश में बेरोजगारी में भारी बढ़ोतरी के सबसे बड़े कारणों में से एक बताया जा रहा है।
सीएमआईई के डेटा के मुताबिक, देश में कारोबार में आई सुस्ती कॉरपोरेट इंडिया की सैलरी में बढ़ोतरी की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। डेटा के मुताबिक, साल 2012-13 के बाद चार वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई।
प्रिय पाठकगण, सादर अभिनंदन !
कृपया इस वेबसाइट को नियमित देखिए, यहां प्रकाशित सामग्री पर अपनी प्रतिक्रिया दीजिए। आपको जो आलेख पसंद आए उसे औरों को शेअर करें। अपने आलेख, समाचार, विज्ञापन, रचनाएं इत्यादि छपवाने व रिपोर्टर बनने के लिए आवेदन कृपया व्हाट्सऐप 9897791822 पर भेजें। कृपया फोन न करें। जो भी बात कहनी हो उसे व्हाट्सऐप पोस्ट या मैसेज के जरिये ही भेजें।