नयी दिल्ली। मोदी सरकार नागरिकों पर एक के बाद कड़े कानून थोपती जा रही है। लोगों के जीवन को आसान बनाने के बजाए वह मुश्किल किये जा रही है। लेकिन कभी-कभार कोई अच्छा कानून भी होता है। कुछ माह पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) में संशोधन की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है ताकि खुली सिगरेटों की बिक्री पर प्रतिबंध तथा नियमों के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना समेत कानून के प्रावधानों को सख्त किया जा सके. सूत्रों ने कहा कि इसका उद्देश्य कानून को और अधिक प्रभावशाली बनाना तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण पर रूपरेखा समझौते (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) को और अधिक संगत बनाना है. हालांकि दिल्ली सहित तमाम राज्यों में सार्वजनिक और तमाम चुनिंदा स्थानों पर धूम्रपान करना प्रतिबंधित है और पकड़े जाने पर जुर्माने का प्रावधान है लेकिन इसे लागू किया जाना हमेशा से मुश्किल काम रहा है।
वर्तमान में निषिद्ध क्षेत्रों में धूम्रपान पर 200 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. मंत्रालय ने 2003 के कानून में कई संशोधनों का प्रस्ताव रखा है और 2015 में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का नियमन और विज्ञापन प्रतिबंध) संशोधन विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक पटल पर रखा था. एक सूत्र ने कहा, हालांकि प्रावधानों के मसौदे पर फिर से विचार करके बेहतर संस्करण लाने के लिए इसे 2017 में वापस ले लिया गया था. हम मसौदा फिर से तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को नये सिरे से शुरू कर रहे हैं. पिछले मसौदे में जुर्माना 1000 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव था. इसमें होटलों, रेस्तरांओं और हवाई अड्डों से निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों को हटाने का भी प्रस्ताव था.
मालूम हो कि सरकार को शराब और तंबाकू उत्पादों से भारी मात्रा में टैक्स प्राप्त होता है। सदियों से नशा समाज में प्रचलित है। सरकारों के तमाम जागरूकता और जुर्माने के बावजूद समाज में खराब काम समझे जाने के बावजूद नशा निरंतर जारी है।
मालूम हो कि धूम्रपान ऐसा नशा है जो धूम्रपान करने वाले के साथ-साथ उसके संपर्क में आए व्यक्ति पर भी अपना असर डालता है। अगर आप किसी कमरे में रहकर धूम्रपान करते हैं तो उस कमरे में रहने वाले या आने-जाने वाले अन्य लोगों पर भी उसका प्रतिकूल प्रभाव ज्यादा पड़ेगा। इसी तरह सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर उसका असर वहां गुजरने/ठहरने वाले अन्य लोगों पर पड़ता है। पिछले करीब दो दशकों में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या काफी बढ़ी है जिसका खराब असर उनके बच्चों और अन्य परिजनों पर पड़ रहा है।
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